विश्व साक्षरता दिवस: रीडिंग पास्ट, राइटिंग फ्यूचर
अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस (Antarrashtriya Saksharta Diwas in Hindi):
Short Essay on Antarrashtriya Saksharta Diwas in Hindi.
'अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस' प्रत्येक वर्ष 8 सितम्बर को मनाया जाता है। विश्व से निरक्षरता को समाप्त करने के उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए संयुक्त राष्ट्र के शैक्षिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) ने 17 नवंबर 1965 के दिन 8 सितम्बर को विश्व साक्षरता दिवस मनाने का निर्णय लिया था। विश्वभर में वर्ष 1966 में पहला विश्व साक्षरता दिवस मनाया गया था। तभी से यह सम्पूर्ण विश्व भर में प्रत्येक वर्ष मनाया जाता है।
अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस का उद्देश्य लोगों, समुदाय और समाज में साक्षरता के महत्व को उजागर करना है। इसका उद्देश्य व्यक्तियों और समुदायों में साक्षरता के महत्व को रेखांकित करना है। अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस प्रत्येक वर्ष एक नए उद्देश्य के साथ मनाया जाता है। वर्ष 2013 का अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस सभी को साक्षर बनाने के साथ अत्याधुनिक साक्षरता कौशल से प्रशिक्षित करने पर बल देते हुए 21वीं सदी की साक्षरता को समर्पित किया गया।
अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस समारोह
शिक्षा पर वैश्विक निगरानी रिपोर्ट के अनुसार ये ध्यान देने योग्य है कि हर पाँच में से एक पुरुष और दो-तिहाई महिलाएँ अनपढ़ है। उनमें से कुछ के पास कम साक्षरता कौशल है, कुछ बच्चों की पहुँच आज भी स्कूलों से बाहर है और कुछ बच्चे स्कूलों में अनियमित रहते हैं। लगभग 58.6% की सबसे कम वयस्क साक्षरता दर दक्षिण और पश्चिम एशिया के नाम है। बुरकिना फासो, माली और नाइजर वो देश है जहाँ सबसे कम साक्षरता दर है।
यह पूरे विश्व में शिक्षा की खास विषय-वस्तु, कार्यक्रम और लक्ष्य से साथ मनाया जाता है। वर्ष 2007 और 2008 में इस दिन की विषय-वस्तु साक्षरता और स्वास्थ्य था (टीबी, कॉलेरा, एचआईवी और मलेरिया जैसी फैलने वाली बीमारी से लोगों को बचाने के लिये महामारी के ऊपर मजबूत ध्यान देने के लिये)। वर्ष 2009 और 2010 का मुद्दा साक्षरता और महिला सशक्तिकरण था जबकि 2011 और 2012 के इस उत्सव का विषय साक्षरता और शांति था।
समाज की साक्षरता दर को बढ़ावा देने के लिये असाधारण मूल्य के लिखित शब्द और जरुरत के बारे सार्वजनिक चेतना को बढ़ावा देने के लिये इस दिन को मनाने का खास महत्व है। साक्षरता सुधार की मदद करने के लिये कुछ लेखकों ने लेख लिखे हैं वो हैं- मारगरेट एटवुड, पॉलो कोहेलहो, फिलीप डेलर्म, पॉल ऑस्टर, फिलीप क्लॉडेल, फैटेउ डियोम आदि और भी बहुत सारे। कुछ कंपनियाँ, दानी संस्थाएँ, वैश्विक विकास शोध केन्द्र, रोटरी अंतर्राष्ट्रीय, मौंटब्लैंक और राष्ट्रीय साक्षरता संस्थान भी सामाजिक साक्षरत को बढ़ावा देने में शामिल हैं। साक्षरता इंसान के जीवन को आकार देने के साथ ही उनकी सांस्कृतिक पहचान को भी बनाता है।
अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस क्यों मनाया जाता है
मानव विकास और समाज के लिये उनके अधिकारों को जानने और साक्षरता की ओर मानव चेतना को बढ़ावा देने के लिये अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस मनाया जाता है। सफलता और जीने के लिये खाने की तरह ही साक्षरता भी महत्वपूर्णं है। गरीबी को मिटाना, बाल मृत्यु दर को कम करना, जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित करना, लैंगिक समानता को प्राप्त करना आदि को जड़ से उखाड़ना बहुत जरुरी है। साक्षरता में वो क्षमता है जो परिवार और देश की प्रतिष्ठा को बढ़ा सकता है। ये उत्सव लगातार शिक्षा को प्राप्त करने की ओर लोगों को बढ़ावा देने के लिये और परिवार, समाज तथा देश के लिये अपनी जिम्मेदारी को समझने के लिये मनाया जाता है।
अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस का विषय (थीम)
बहुत सारे देशों में पूरे विश्व की निरक्षरता से संबंधित समस्याओं को सुलझाने के लिये कुछ सामरिक योजनाओं के कार्यान्वयन के द्वारा इसे प्रभावशाली बनाने के लिये हर वर्ष एक खास विषय पर अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस उत्सव मनाया जाता है। अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस का कुछ सालाना विषय यहाँ दिया गया है।
सामाजिक प्रगति प्राप्ति पर ध्यान देने के लिये 2006 का विषय “साक्षरता सतत विकास” था।
महामारी (एचआईवी, टीबी और मलेरिया आदि जैसी फैलने वाली बीमारी) और साक्षरता पर ध्यान देने के लिये 2007 और 2008 का विषय “साक्षरता और स्वास्थ्य” था।
लैंगिक समानता और महिला सशक्तिकरण पर ध्यान देने के लिये “साक्षरता और सशक्तिकरण” 2009-10 का मुद्दा था।
2011-12 का लक्ष्य “साक्षरता और शांति” था जो शांति के लिये साक्षरता के महत्व पर ध्यान देना है।
2013 का विषय “21वीं सदी के लिये साक्षरता” थी वैश्विक साक्षरता को बढ़ावा देने के लिये था।
“साक्षरता और सतत विकास” 2014 का लक्ष्य था, जो पर्यावरणीय एकीकरण, आर्थिक वृद्धि और सामाजिक विकास के क्षेत्र में सतत विकास को प्रोत्साहन देने के लिये है।
2015 का विषय-वस्तु था "साक्षरता एवं सतत सोसायटी"।
विश्व साक्षरता दिवस: रीडिंग पास्ट, राइटिंग फ्यूचर
मानव विकास और समाज के लिये उनके अधिकारों को जानने और साक्षरता की ओर मानव चेतना को बढ़ावा देने के लिये अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस मनाया जाता है। ये उत्सव लगातार शिक्षा को प्राप्त करने की ओर लोगों को बढ़ावा देने के लिये और परिवार, समाज तथा देश के लिये अपनी जिम्मेदारी को समझने के लिये मनाया जाता है। आजादी पाने के बाद पिछले 70 वर्षों में भारत ने बहुआयामी सामाजिक और आर्थिक प्रगति की है। लेकिन अगर साक्षरता की बात करें तो इस मामले में आज भी हम कई देशों से पीछे हैं।
2011 की जनगणना के प्रारंभिक आंकड़ों के अनुसार देश में अब 82.1 फीसदी पुरुष और 64.4 फीसदी महिलाएं साक्षर हैं। पिछले दस वर्षों में ज्यादा महिलाएं (4 फीसदी) साक्षर हुई हैं। पहली बार जनगणना आंकडों में इस बात के सकारात्मक संकेत भी मिले हैं कि महिलाओं की साक्षरता दर पुरुषों की साक्षरता दर से 6.4 फीसदी अधिक है।
वहीं केरल और लक्षद्वीप में सबसे ज्यादा 93 और 92 प्रतिशत साक्षरता है। केरल को छोड़ दिया जाए तो देश के अन्य शहरों की हालत औसत है जिनमें से बिहार और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों की हालत बहुत ही दयनीय है। यहां साक्षरता दर सबसे कम है। 1947 में स्वतंत्रता के समय देश की केवल 12 प्रतिशत आबादी ही साक्षर थी।
वर्ष 2007 तक यह प्रतिशत बढ़कर 68 हो गया और 2011 में यह बढ़कर 74% हो गया लेकिन फिर भी यह विश्व के 84% से बहुत कम है। 2001 की जनगणना के अनुसार 65 प्रतिशत साक्षरता दर के साथ ही देश में 29 करोड़ 60 लाख निरक्षर हैं,जो आजादी के समय की 27करोड़ की जनसंख्या के आसपास हैं।
स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात भारत में 6-14 वर्ष के बच्चों के लिए संविधान में पूर्ण और अनिवार्य शिक्षा का प्रस्ताव रखा गया। वर्ष 1949 में संविधान निर्माण के छह दशकों से भी अधिक समय बीत जाने के बावजूद हम अपना लक्ष्य हासिल नहीं कर सके हैं। भारतीय संसद में वर्ष 2002 में 86वां संशोधन अधिनियम पारित हुआ जिसके तहत 6-14 वर्ष के बच्चों के लिए शिक्षा को मौलिक अधिकार का दर्जा दिया गया बावजूद इसके नतीजों में कोई बड़ा बदलाव नहीं हुआ।
भारत में साक्षरता दर बढ़ाने के लिए विभिन्न योजनाएं:
भारत में सरकार द्वारा साक्षरता को बढ़ाने के लिए सर्व शिक्षा अभियान,मिड डे मील योजना,प्रौढ़ शिक्षा योजना,राजीव गांधी साक्षरता मिशन आदि न जाने कितने अभियान चलाए गए,मगर सफलता आशा के अनुरूप नहीं मिली। इनमें से मिड डे मील ही एक ऐसी योजना है जिसने देश में साक्षरता बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई। इसकी शुरूआत तमिलनाडु से हुई जहां 1982 में तत्कालीन मुख्यमंत्री एम.जी.रामचंद्रन ने 15 साल से कम उम्र के स्कूली बच्चों को प्रति दिन निःशुल्क भोजन देने की योजना शुरू की थी।
इसके अलावा देश में 1998 में 15 से 35 आयु वर्ग के लोगों के लिए ‘राष्ट्रीय साक्षरता मिशन’ और 2001 में ‘सर्व शिक्षा अभियान’ शुरू किया गया। इसमें वर्ष 2010 तक छह से 14 आयु वर्ग के सभी बच्चों की आठ साल की शिक्षा पूरी कराने का लक्ष्य था। बाद में संसद ने चार अगस्त 2009 को बच्चों के लिए मुफ्त एवं अनिवार्य शिक्षा कानून को स्वीकृति दे दी। एक अप्रैल 2010 से लागू हुए इस कानून के तहत छह से 14 आयु वर्ग के बच्चों को निःशुल्क शिक्षा देना हर राज्य की जिम्मेदारी होगी और हर बच्चे का मूल अधिकार होगा।
अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस का इतिहास:
17 नवम्बर 1965 को युनेस्को ने 8 सितम्बर को अन्तर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस (International Literacy Day) घोषित किया। इसका उद्देश्य व्यक्तिगत, सामुदायिक और सामाजिक रूप से साक्षरता के महत्व पर प्रकाश डालना है। यह उत्सव दुनियाभर में मनाया जाता है। इसको पहली बार 1966 में मनाया गया।